प्रकृति – प्रेरणा का स्त्रोत

प्रकृति – प्रेरणा का स्त्रोत

प्रकृति को किसी एक तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता। पानी की गहराई और ऊंचाई, पशु-पक्षियों में विचित्रता, गन्ने में मिठास और नीम में कड़वापन यह सबकुछ प्रकृति के द्वारा दिए गए स्वभाव हैं। प्रकृति की भिन्न भिन्न रचनाओं को अगर हम प्रेरणा के स्त्रोत बना ले तो हमें अपने सारे प्रश्नों के हल मिल जाएंगे।

चला खोजने प्रेरणा के स्त्रोत,
सर्व प्रथम हिमालय की ओर।
उंचे शिखर ने दृढ़ता सिखलाई,
याद सदा रखना अपनी जड़ें, बोली खाई।

बहती नदी कहती रुक ना तू जीवन में कभी,
बना अपना रास्ता और आत्मविश्वास से चल तू वहीं।
तट पर टकराती लहरें करती शोर,
अपने सपनों की हो चली है भोर।

निःस्वार्थ भाव सिखलाते विशाल पेड़,
देखो कैसे अपना रास्ता खुद खोजती नाज़ुक बेल।
पुष्प से सीखा मुस्कान फैलाना,
कांटों ने समझाया जीवन जीने का ख़जाना।

चाँद से सीखा शीतल रहना,
सूर्या कहे तुम बनो सबका गहना।
जहां बादल खोले अंगिनत कल्पनाएं,
चमकते तारे सिखाए नवीन क्षमाताएं।

प्रकृति की परिभाषा है अदभुत,
जीवन चक्र के उदाहरणों से तृप्त,
प्रेरणा के अनगिनत स्त्रोत प्रकृति है समेटे,
ध्यान से देखो तो प्रश्नों के हर हल बूझे।

हमारी कविताओं के संग्रह पर एक नजर जरूर डालें।

अपनी स्वरचित रचनाओं को दीजिए आपका अपना मंच – धूपछांव विचारों का मंच

क्या आपको भी हमारी तरह हिंदी में लिखना पसंद है? तो आप हमें अपनी रचनाएं भेजें और हम अपने ब्लॉग पर आपकी स्वरचित रचनाओं को प्रकाशित करेंगे। अधिक जानकारी के लिए आप यहाँ पढ़ें

Leave a Reply

This Post Has 5 Comments

  1. Alpana Deo

    प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है। सबसे महत्वपूर्ण पाठ जो हम सीख सकते हैं वो है निरंतर चलते रहना। प्रकृति किसी के लिए रूकती नाही हैं, ना तो नदी का भाव रुकता है, ना तो पहाडों की ऊँचाई में कोई कमी आती है। प्रकृति तो बस निस्वार्थ भाव से हमें सदैव देती है।

  2. Alpana Deo

    प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती है। सबसे महत्वपूर्ण पाठ जो हम सीख सकते हैं वो है निरंतर चलते रहना। प्रकृति किसी के लिए रूकती नाही हैं, ना तो नदी का भाव रुकता है, ना तो पहाडों की ऊँचाई में कोई कमी आती है। प्रकृति तो बस निस्वार्थ भाव से हमें सदैव देती है।

  3. Harjeet Kaur

    My Hindi is poor but I got the gist of the poem. Nature has always been a source of inspiration but the way the world is moving I am worried about there not being trees or water and the hills being destroyed.

  4. Shilpa Garg

    Absolutely! Nature is indeed the ultimate teacher, offering invaluable lessons in resilience, adaptability and interconnectedness. From the changing seasons to the intricate ecosystems, there’s endless wisdom to be gleaned. If we embrace the teachings of nature, we can cultivate a deeper understanding of ourselves and our world.

  5. Roma Gupta Sinha

    Your poem is as soothing as mother nature dear and like you I too love and adore and learn from her every day