प्रकृति – प्रेरणा का स्त्रोत

प्रकृति को किसी एक तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता। पानी की गहराई और ऊंचाई, पशु-पक्षियों में विचित्रता, गन्ने में मिठास और नीम में कड़वापन यह सबकुछ प्रकृति के…

4 Comments

नया सवेरा, नई उम्मीद – कविता

सारे खेल आज ख़त्म हुए,जा बैठा राजू टक टकी लगाए,गली के किनारे, अपने बाबा के,इंतजार में दूर दूर तक निगाहें टिकाए। बाबा के इंतज़ार में अब भूख़ का है ज़ोर।क्या…

1 Comment

मित्रता दिवस पर कविता – मैंने दोस्ती कर ली

आत्मविश्वासके बादलों पर सवार,अपनी उम्मीदों से,आज मैंने दोस्ती कर ली। आशावादी मनपंछी बन भरे उड़ान,अपने सपनों से,आज मैंने दोस्ती कर ली। कठिन पथविश्वास की बूंदों से तृप्त,अपनी क्षमताओं से.आज मैंने…

0 Comments