सन्नाटे में शोर – कविता

सन्नाटे में शोर – कविता

आज आज़ादी के उत्सव पर मन प्रश्नों में डूबा था। जहां एक ओर हम डिजिटल इंडिया और आर्थिक स्थिरता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और अपमानजनक व्यवहार उनके जीवन को संकट में डाल रहे हैं। देश की प्रगति में नारी का भी उतना ही हाथ है जितना पुरुष का। नारी का सम्मान और समानता उनका अधिकार है। देश में एक बदलाव की जरूरत है, हमारी मानसिकता और दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव की।

हम सभी को ऐसे बदलाव की आशा करनी चाहिए जो एक व्यक्ति को वास्तविक मानव बनाए। हम सभी को न केवल ऐसे अमानवीय कृत्य होने पर बदलाव के लिए दहाड़ने की जरूरत है, बल्कि बदलाव की दिशा में लगातार काम करने की भी जरूरत है। जब ऐसे अमानवीय कृत्य होते हैं तो हम सभी को सकारात्मक बदलाव के लिए कार्रवाई करने के लिए अनुस्मारक की आवश्यकता क्यों होती है, और फिर जब तक ऐसे कृत्य दोबारा नहीं होते तब तक पूरी तरह से चुप्पी साध ली जाती है।

यह नीचे दी गई हिंदी कविता हमें अशोभनीय कृत्यों के बाद चुप्पी होने पर भी न्याय के लिए दहाड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।

आज जिस बात पर इतना शोर है,
कल यहीं पर सन्नाटा होगा |
आज प्रश्न हुए हैं उजागर कई,
जवाब कब मिलेगा यह पता नहीं |

हाहाकार मचा चारों ओर आज,
कल यहीं ख़ामोशी का बजेगा साज़ |
फिर सन्नाटा छा जायेगा सभी पर,
जब तक एक चीख़ उठे नहीं किसी कोने में |

मानवता का अंत तो , हो गया इस कलयुग में,
क्या दैत्य अब पहनेंगे इंसान का चोला खुले में?
क्यों इंसानियत नहीं जागती सन्नाटे में,
किस ओर चला मानव और किस मुखौटे में |

हर इंसान अपने अंतरमन से पूछे,
क्या ऐसे भविष्य में हमें जीना हैं ?
जहाँ चीख़ को भी चुप करा देना
बस एक तमाशा है |

कल फिर सन्नाटा होगा हर जगह शांति छाएगी,
इस समय जाग जाये इंसानियत तो होगी भलाई |
मानवता के बीज को सब में पिरोना है,
दैत्य को पहचान उसे सबक सिखाना है |

इस शोर को शांत न होने दो मन में,
डटे रहो बदलाव की सहर में |
नारी को भगवान की पदवी की नहीं अपेक्षा,
बस इंसानियत और आदर की आकांक्षा |

मानव ! अपनी स्मर्ण बुद्धि सदा सचेत रख,
परिवर्तन की ओर कदम बढ़ा सम्मान की है ललक |
उपेक्षा ना कर नारी का इस युग में,
उठ जाएगी प्रलय की लहर हर कोने में |

यदि हम सभी सकारात्मक मानसिकता के लिए सामूहिक रूप से बदलाव की दिशा में काम करें और लिंग की पूर्व धारणाओं को तोड़ें तो दुनिया रहने के लिए एक खूबसूरत जगह होगी। प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करने वाले बच्चों का पालन-पोषण करना प्रत्येक माता-पिता की जिम्मेदारी है। बेहतर कल के लिए हम सभी को हुंकार भरते हुए वर्तमान में भी मेहनत करनी होगी और इंसान की सोच को भी बदलाव के साथ सकारात्मकता की ओर ले जाना होगा।

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This Post Has 5 Comments

  1. Sandy N Vyjay

    This is a very powerful yet poignant poem which depicts the current state of affairs, and contemporary happenings. It is a strong statement on the society that we are a part of. Today everyone seems to be in search of trending happenings and want to use it for their own selfish interests.

  2. Ruchi Verma

    This poem powerfully captures the struggle for women’s rights and the need for societal change. It urges us to break the silence and work towards a future where respect and equality are fundamental. Inspiring and thought-provoking!

  3. Dipika Singh

    Change and sensitivity are the only ways to resolve this recurring issue of barbarism. One after another such incidents bring front the lack of human values and our failure as a society.

  4. Rakhi Parsai

    I love how this poem encourages us to take action for change. It’s sad that silence can allow injustice to continue. We need to support each other and work for a world where everyone is respected. Great message!

  5. Sindhu

    What a lovely choice of words to express the struggle for women rights . It also gives you an urge thaat the society we live in needs a change.