शिव कौन हैं? शिव का अर्थ क्या है?

शिव कौन हैं? शिव का अर्थ क्या है?

न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः |
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम् ||

अर्थात: न मैं पुण्य हूँ, न पाप, न सुख और न दुःख, न मन्त्र, न तीर्थ, न वेद और न यज्ञ, मैं न भोजन हूँ, न खाया जाने वाला हूँ और न खाने वाला हूँ, मैं चैतन्य रूप हूँ, आनंद हूँ, शिव हूँ, शिव हूँ…

शिव कौन हैं ?

शिव आत्म चेतना है, संसार है, निर्गुण है, सर्वशक्तिमान है, शिव संपूर्ण हैं, शिव हर तत्त्व है, शिव सर्वश्रेष्ठ है, शिव में सब विलीन हैं। भगवान शिव के कई नाम हैं। पाताल से लेकर पहाड़ों तक विराजमान शिव जी की महिमा चारों ओर गूंजती है।

शिव अहंकार को हरते हैं: शिव जी हमारे हर प्रकार के अहंकार को समाप्त कर अपनी सकारत्मक ऊर्जा के समीप लाते हैं। वे हमारी अंतरात्मा में वास करते हैं और हमें सही रास्ता दिखलाते हैं। शिव हर उस में समाते हैं जो हर तरह के भेद भाव और आसक्ति से परे हैं।

अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः। मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषंतोअभ्यसूयकाः।

अर्थ – अहंकार, बल, घमंड, कामना, क्रोध और दूसरों की निंदा, जिनमें ये छह दुर्गुण होते हैं, वे लोग मुझे (ईश्वर) कभी नहीं देख सकते।

शिव कहां हैं ?

शिव शाश्वत हैं, अनंत हैं: शिव शाश्वत हैं, वे ऐसी ऊर्जा हैं जिसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता, जो कभी खत्म नहीं होती। भगवान शिव को दिव्य अंधकार भी कहा जाता है क्योंकि अंधकार का कोई स्त्रोत नहीं और जिसका कोई स्त्रोत नहीं उसका कोई अंत भी नहीं। शिव शाश्वत हैं, और किसी भी तरह की आसक्ति से परे हैं।

शिव का अर्थ क्या है?

शिव शब्द का अर्थ है, “वह जो नहीं है”। वे निराकार हैं, समय, स्थान और कर्म की द्वैतवादी दुनिया से परे हैं। शिव परम पूज्य हैं, शिव शून्यता की शक्ति हैं। शिव से ब्रह्मांड है, वे सृजन भी करते हैं और विनाश भी; और जो हर चीज़ को अर्थ देते हैं। शिव तथ्य है, शिव अर्थ है। शिव शून्य है, शून्य पूर्ण है, और पूर्ण अनंत होता है। शून्य अनादि है और अनंत भी।

शिव नीलकंठ हैं:

वे भौतिक विष जैसे लोभ, सफलता, श्रेय, तुलना, वासना से परे हैं। जैसे महादेव ने विष को अपने कंठ में इकठ्ठा कर लिया उसी तरह वे सिखाते हैं कि हर प्राणी को ऐसे भौतिक विष को अपने कंठ से भीतर प्रवेश करने नहीं देना चाहिए जिससे सारी इंद्रियां प्रभावित होती हैं। शिव का नीलकंठ रूप यही दर्शाता है कि हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और सकारात्मक भाव को अपनाना चाहिए। शिव का वास माया और मिथ्या से परे मन में होता है।

शिव त्रिनेत्रधारी हैं:

भगवान शिव अपनी ललाट पर स्थित तीसरी आंख से भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं। वे किसी को भी सही या गलत के मापदंड में नहीं आंकते हैं। शिव जी हमें दिखाते हैं कि हमें अपने अंतर्मन से, और विवेक से हर किसी को देखना चाहिए। भगवान शिव की तीसरी आंख की तरह हमें भी अपने अंतर्ज्ञान और मानसिक क्षमता को अपना साथी बनाकर किसी के लिए भी निर्णयात्मक नहीं होना चाहिए, बल्कि हमें सदा हर किसी में बसे शिव को ही ढूंढना चाहिए।

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महाशिवरात्रि का क्या महत्व है:

महाशिवरात्रि की रात को ब्रह्माण्ड में ग्रहों और नक्षत्रों की एक अनोखी स्थिति से पूरे ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक ऊर्जा का प्रवाह होता है। और इसीलिए महाशिवरात्रि पर हम रात भर जागरण कर इस प्राकृतिक ऊर्जा से अपनी आत्म चेतना को जागृत करते हैं। अपनी चेतना को जागरूक कर हम धारणाओं और पूर्वाग्रहों से मुक्त हो जाते हैं और एक सही दृष्टिकोण से चीजों को समझ पाते हैं।

तो आइए महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हम हर एक में बसे शिव के रूप को ही ढूंढे, हमारे अंदर बसी भौतिक वासनाओं का त्याग करें, अपनी आत्म चेतना से अपने विवेक को बढ़ाएं और एक सुंदर मन से सबको अपनाएं।

Shiv ka arth kya hai? Shiv kaun hain?

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This Post Has 12 Comments

  1. Bedabrata Chakraborty

    Reading about Shiv and his significance on Dhoopchaanv was enlightening. Exploring his essence and meaning in Hindu mythology deepened my understanding of spirituality and cultural heritage.

  2. Rahul Prabhakar

    What a lovely post! The night of Mahashivratri marks a unique alignment of planets and stars in the cosmos, facilitating the flow of natural energy throughout the universe. It’s why we observe vigilance throughout the night, awakening our consciousness with this natural energy. By awakening our consciousness, we liberate ourselves from biases and preconceptions, gaining a clearer perspective on things.

  3. Earn Money Flex

    Numerous blogs delve into the concept of Lord Shiva and the true meaning behind Shiva, yet your profound exploration of Shiva’s essence has genuinely resonated with me, fostering an appreciation for your writing style. The articulation of Lord Shiva as the destroyer of ego is particularly captivating.

  4. Monidipa Dutta

    Your interpretation of the profound verses from the scripture beautifully elucidates the essence of Shiva and his significance in spiritual understanding. You’ve eloquently conveyed the deeper meanings behind Shiva’s attributes, such as his role in dispelling ego and guiding us towards enlightenment.

    The explanation of Shiva’s eternal nature and his embodiment of formlessness is particularly enlightening. It helps readers grasp the transcendental aspect of Shiva’s existence and his role as the ultimate reality.

    Your portrayal of Shiva as the Blue-throated and the symbolism behind it offers valuable insights into how we can learn from his teachings to overcome worldly poisons and embrace positivity.

    Furthermore, the depiction of Shiva’s three eyes and their symbolism is profound. It serves as a reminder to perceive the world with inner consciousness and without judgment, seeking Shiva’s presence in everyone.

    Overall, your feedback provides a comprehensive understanding of Shiva’s significance, making it an enriching read for anyone interested in delving deeper into spiritual concepts. Thank you for sharing such insightful reflections.

  5. Sindhu

    Reading through the comments understand that this about Lord Shiva and i understand that you’ve conveyed his significance well in this post. Thanks for sharing

  6. Hansa

    Shiva is the unlimited enlightment and the Supreme from where it all begins and where it all ends. I enjoyed reading this blog a lot.

  7. Preeti Chauhan

    What a beautiful post on the meaning of Shiv and the importance of MahaShivratri!
    I like how effectively and simply you explained this Hindu Festival. Shiv is not just a symbol, he is a way of life.

  8. Alpana Deo

    Whenever I think of Lord Shiv, I say he is the epitome of love, he is the symbol of calmness in his meditating pose and offcourse his innocent nature of giving desired boons to those who worship him. Through this blog, you showed me a new way of looking at him.

  9. Sandy N Vyjay

    Very nice and informative post about Shiv, the Guru of all Gurus, the Adi Guru. Thinking and reading about Shiv is in itself a great act of self-purification. Blessed are you to write about Shiv and blessed are we to read about Shiv. Om Namah Shivaya.

  10. Dipika Singh

    This post reminds me – Shiv hi mein hu, mein hi Shiv hu. He is everywhere, he is omnipresent. Glad to read about Mahashivrati and the pure essence of spirituality.

  11. Ishieta

    Lovely written article about Shivji and his significance. mahashivratri is such a time of powerful energy and positivity i feel.

  12. Tina Basu

    What a lovely post about the significance of Maha Shivratri and the meaning of Shiv!
    I appreciate how clearly and concisely you described this Hindu holiday. Shiv is a way of life, not just a symbol.