सन्नाटे में शोर – कविता
आज आज़ादी के उत्सव पर मन प्रश्नों में डूबा था। जहां एक ओर हम डिजिटल इंडिया और आर्थिक स्थिरता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर हो…
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August 15, 2024
आज आज़ादी के उत्सव पर मन प्रश्नों में डूबा था। जहां एक ओर हम डिजिटल इंडिया और आर्थिक स्थिरता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर हो…
प्रकृति को किसी एक तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता। पानी की गहराई और ऊंचाई, पशु-पक्षियों में विचित्रता, गन्ने में मिठास और नीम में कड़वापन यह सबकुछ प्रकृति के…
सारे खेल आज ख़त्म हुए,जा बैठा राजू टक टकी लगाए,गली के किनारे, अपने बाबा के,इंतजार में दूर दूर तक निगाहें टिकाए। बाबा के इंतज़ार में अब भूख़ का है ज़ोर।क्या…
विचारों के मंच में आप सभी का स्वागत है!! आपको बता दें कि यह मंच हमारी एक पहल है हिंदी भाषा के अनूठे स्वरुप को समक्ष लाने की। और इसीलिए…