धूपछांव विचारों का मंच – हिन्दी दिवस
अभिव्यक्ति का परचम हिन्दी, संस्कृति की जननी हिन्दी, निश्चल और निराली हिन्दी, अंतर्मन की तस्वीर हिन्दी | अपनी भाषा करो अपनी भाषा पर प्यार।जिसके बिना मूक रहते तुम,रुकते सब व्यवहार।…
अभिव्यक्ति का परचम हिन्दी, संस्कृति की जननी हिन्दी, निश्चल और निराली हिन्दी, अंतर्मन की तस्वीर हिन्दी | अपनी भाषा करो अपनी भाषा पर प्यार।जिसके बिना मूक रहते तुम,रुकते सब व्यवहार।…
हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि एक ऐसी भावना है जो हमारे अस्तित्व को संतुष्टि और शांति प्रदान करती है। आज की तेज़-रफ़्तार और तकनीकी प्रगति के युग में, क्या…
आज आज़ादी के उत्सव पर मन प्रश्नों में डूबा था। जहां एक ओर हम डिजिटल इंडिया और आर्थिक स्थिरता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर हो…
प्रकृति को किसी एक तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता। पानी की गहराई और ऊंचाई, पशु-पक्षियों में विचित्रता, गन्ने में मिठास और नीम में कड़वापन यह सबकुछ प्रकृति के…
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं न मन्त्रो न तीर्थं न वेदो न यज्ञः |अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप: शिवोऽहं शिवोऽहम् || अर्थात: न मैं…