बसंत पंचमी पर कविता

बसंत पंचमी पर कविता

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बसंत पंचमी का त्यौहार भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सर्दी के मौसम के समाप्त होने और गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है। साथ ही, यह ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के पूजा का दिन भी है। बसंत पंचमी का महत्व केवल मौसम बदलने के रूप में नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति, आस्था और विश्वास का पर्व भी है।

बसंत पंचमी की सुबह का दृश्य बहुत ही अद्भुत होता है। जब सूरज की किरणें धरती पर पड़ती हैं, तो चारों ओर पीले फूलों से रंगी हुई धरती एक नया रूप धारण करती है। पीला रंग बसंत का प्रतीक है, जो शुभता और समृद्धि का संकेत देता है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। पीले रंग के कपड़े पहनना खास तौर पर शुभ माना जाता है।

आइये बसंत पंचमी पर कविता द्वारा जानें सरस्वती माता का आगमन कैसा होता है और वे हमें क्या सिखाती हैं।

बसंत पंचमी का पर्व आया, हर दिशा हुई पीतवर्ण।
धरती ने ओढ़ी छटा स्वर्णिम, गूंज उठा प्रकृति का कण कण।
अम्बर में खिली धूप, और हवा में घुली मिठास,
ज्ञान और वाणी देवी माँ सरस्वती, का आगमन बना खास।

माँ सरस्वती की कृपा से हर मन में जगे ज्ञान की ज्वाला,
शब्दों में समाहित हर समस्या का हल और सफलता का प्याला।
मधुर वाणी से ही जीवन में निखार आता,
बसंत पंचमी का यह पर्व यही है सिखाता।

शिक्षा का प्रकाश जब हमारे हृदय में है समाता,
हर विचार और हर शब्द एक नया आयाम पाता।
ज्ञान की ज्योति बन मार्ग दिखाए, हर अंधकार मिटाती,
संस्कार, विवेक, और चेतना की नई किरण जगाती।

शब्दों में शक्ति है, जो जीवन को दिशा दे,
वाणी में है ताकत, जो अंधकार को धूमिल करे|
वाणी की ताकत से जब हम सत्य बोलते हैं,
तो आत्मविश्वास से अपने सपनों को पूरा करते हैं।

आओ, इस बसंत में हम सभी मिलकर वाणीवाग्देवी को नमन करें,
शिक्षा के दीपों से हम हर दिल को रोशन करें।
ज्ञान की गंगा से हम सभी की प्यास बुझाएं,
और वाणी शक्ति से समाज में एक नया अध्याय प्रारंभ करें।

इस दिन को लेकर गाँवों और शहरों में उत्सव का माहौल होता है। लोग एक दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं, घर-घर मिष्ठान्न बनते हैं और सभी मिलकर खुशियाँ मनाते हैं। बच्चों को इस दिन खासकर अपने ज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। माँ सरस्वती की पूजा होती है और उन्हें संगीत, कला और साहित्य का आशीर्वाद दिया जाता है।

बसंत पंचमी का विशेष संबंध विद्या से भी है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में उन्नति प्राप्त करते हैं। उन्हें ज्ञान की देवी का आशीर्वाद मिलता है और उनके मनोबल में वृद्धि होती है। विद्यार्थियों के लिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि वे अपनी किताबों और पेंसिलों को इस दिन पूजा करते हैं, ताकि उनकी पढ़ाई में सफलता मिले।

सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥

देवी सरस्वती को नमन, जो वरदान देने वाली और मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली हैं।
हे देवी, जब मैं अपनी शिक्षा प्रारंभ करूं, तो कृपया मुझे सदा सही समझ की क्षमता प्रदान करें।

यह भी पढ़ें : सरस्वती माता को वाणी की देवी क्यों कहते हैं?

यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत खास है। यह सब कुछ बताता है कि इस दिन का महत्व केवल एक दिन की पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक जीवन के नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। बसंत पंचमी का पर्व सर्दी से गर्मी के बीच का एक सुंदर संक्रमण है, जो हमें न केवल मौसम के बदलाव का अहसास कराता है, बल्कि जीवन में नए रंग और खुशियाँ लाने का संदेश भी देता है।

माता सरस्वती की वीणा किसका प्रतीक है?

विद्या कला और वाणी की देवी मां सरस्वती अपनी वीणा से मानो सृष्टि में प्राण का संचार करती है जिससे कण कण में नई ऊर्जा आ जाती है। देवी सरस्वती के हाथों में धारण वीणा कला का प्रतीक है जो हमें सिखाती है कि जीवन में कला का होना उतना ही आवश्यक है जितना पुस्तक से ज्ञान।

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This Post Has One Comment

  1. Dr.R.C.MATHUR

    Very well written poem.
    Provides lot of information and will be very educative for new generation childs.