बाल श्रम निषेध दिवस – कविता

जहाँ होनी थी बेफिक्री सी जिंदगी,वहाँ ठानी कमाने अनमोल रोटी। जहाँ एक एक पल बिताना था खेल में,वहाँ झोंक दिया बचपन काम की व्यस्तता में। जिन हाथों में कलम थी…

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