हमारी प्रकृति अद्भुत है, अनोखी है अनमोल है जो हमें मोहित कर देती है | प्रकृति के बीच मन शांत और ताज़ा महसूस करता है। चिड़ियों के कलरव, कल कल करती नदियां, हवाओं की साएं साएं , फूलों पर भिनभिनाता भौंरा, या तालाब में किनारे टर्र-टर्र करते मेंढक, प्रकृति की हर रचना अपनी एक अद्वितीय ध्वनि से जुड़ी है।
अगर हम शांत मन से सुनें तो प्रकृति से उत्पन्न ध्वनियां हमारे मन को मुग्ध कर देती हैं। किंतु क्या आप जानते हैं यह ध्वनियां आई कहां से, इसका स्त्रोत क्या है?
Basant Panchami Kyun Manayi jaati hai
प्रकृति की धवनि कहाँ से उत्पन्न हुई?
हमारे पुराणों के अनुरूप प्रकृति के रचयिता ब्रह्मा जी हैं। उन्होंने पृथ्वी के जीव जंतुओं को भिन्न भिन्न आकारों में ढाला और संवरा। ऐसा माना जाता है की ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना को देख कर खुश नहीं थे। उन्हें अपनी बनाई हुई श्रृष्टि बहुत सूनी लग रही थी। उन्होंने विष्णु जी से अपनी बात कही तब विष्णु जी ने उन्हें मां सरस्वती की सहायता लेने को कहा।
माँ सरस्वती ने कैसे रची प्रकृति की ध्वनियां:
ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी का आहवान किया और अपनी सहायता करने को कहा। तब माता सरस्वती ने अपनी वीणा से विभिन्न ध्वनियां उत्पन्न की जिससे श्रृष्टि में मधुर ध्वनियों का प्रवाह हुआ। इसी कारण सरस्वती मां को (वाणी की देवी) वाग्देवी भी कहा जाता है। माता सरस्वती सिखलाती हैं कि हमें अपनी वाणी को हमेशा मधुर रखनी चाहिए।
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Basant Panchami ko maa saraswati ki pooja kyun ki jaati hai
बसंत पंचमी को माँ सरस्वती की पूजा क्यों की जाती है ?
वसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। मां सरस्वती वसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थी, इसी कारण इस दिन को मां के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मां सरस्वती वाणी, विद्या, ज्ञान-विज्ञान एवं कला-कौशल आदि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। वे मनुष्य को ज्ञान तथा कला के प्रकाश की ओर ले जाती हैं।
“सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम् ।
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना: ॥”
– सरस्वती वंदना श्लोकअर्थ- वाणी की देवी माता सरस्वती जी को नमस्कार, जिनके आशीर्वाद मात्र से मानव देव समान हो जाता है।
बसंत पंचमी या वसंत पंचमी ?
अक्सर देखा गया है कि लोग बसंत और वसंत पंचमी में से क्या सही है इसको समझाना चाहते है , तो देखते है की इन शब्दों में कोई अंतर है या नहीं। बसंत और वसंत दोनों ही सही है, वसंत संस्कृत शब्द है और वही बसंत हिंदी जिसका अर्थ है वसंत ऋतु।
बसंत पंचमी को पीला रंग क्यों पहनते हैं ?
पीले रंग को हिंदू धर्म में एक शुभ रंग माना जाता है और वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा के दौरान इसका विशेष महत्व है। पीला रंग देवी सरस्वती से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह उनका पसंदीदा रंग है। पीला रंग ज्ञान, समझ और बुद्धिमत्ता का रंग है, जो सभी देवी से जुड़े हुए हैं।
आइए वसंत पंचमी के दिन हम सभी माता सरस्वती से यह आशीर्वाद मांगे की हम सब पर सदा ऐसे ही ज्ञान, वाणी और कला का आर्शीवाद बनाएं रखें और इस कौशल का सही रूप में उपयोग करने की शक्ति प्रदान करें।
आज साहित्य, कला और संस्कृति का हमारे जीवन में बड़ा ही महत्व है जो मानव जीवन को एक सकारात्मक दिशा की ओर केंद्रित करते हैं। यह हमारा पहला लेख है। हमारा प्रयास रहेगा हम साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़ी रोचक बातें आपके लिए लेकर आएं।
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