कभी-कभी बातचीत से ही कई कठिनाइयों के हल निकल आते हैं। आपस में चर्चा करके, एक दूसरे के अनुभव से प्रेरणा लेकर चुनौतियों पर विजयी प्राप्त किया जा सकता है। एक सकारात्मक संवाद ज्ञान के भंडार खोल देते हैं।
परीक्षाएँ व्यक्तित्व का विकास करती हैं:
परीक्षा हर विद्यार्थी के जीवन का अहम हिस्सा है। परीक्षाएँ एक विद्यार्थी के आत्मविश्वास और कौशल का विकास करती हैं। परीक्षा या परीक्षण एक मापदंड है जहां विद्यार्थी अपने छुपे कौशल को तराशते और उभारते हैं। एक तय समय में एक पाठ्यक्रम को पूर्ण कर विद्यार्थी परीक्षा की तैयारी करते हैं जो उन्हें समय का मोल और स्मरण शक्ति के गुर सिखाते हैं जो उनके साथ आजीवन चलते हैं।
परीक्षा पे चर्चा की शुरुवात क्यों और किसने की:
चाहे सामान्य वार्षिक स्कूल की हो या फिर बोर्ड परीक्षा वह अपने साथ विद्यार्थियों के मन में कौतूहल मचा देती है। माना के हर विद्यार्थी के लिए परीक्षा प्रश्नों के जवाब तय समय में हल करने मातृ भर ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ है। मानसिक तनाव और चिंता छात्रों को मुख्य रूप से परेशान करने लगती है। लेकिन परीक्षा के पूर्व मन का शांत होना और एकाग्र होना बहुत जरूरी है। इसी कौतुहल को एक दिशा दिखाने, विद्यार्थियों के मन में उमड़ रहे अनगिनत सवालों के जवाब देने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए परीक्षा पे चर्चा की शुरुआत की हमारे माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने। हर साल बोर्ड की परीक्षा से पहले मोदी जी बच्चों से चर्चा करते हैं और छोटे छोटे सुझावों से बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं।
जानिए परीक्षा पे चर्चा में क्या सलाह दी प्रधानमंत्री ने:
Pariksha Pe Charcha
स्वस्थ प्रतिस्पर्धा:
परीक्षा प्रतिस्पर्धा को जन्म देती है लेकिन अगर वही प्रतिस्पर्धा को हम प्रेरणा का स्रोत बना लें तो हम अपना ध्यान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर केन्द्रित कर सकते हैं। छात्रों को अपने साथियों से तुलना नहीं करनी चाहिए बल्कि उनको अपना रोल मॉडल बना कर उनसे पढ़ाई के गुर को अपनाना चाहिए। एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के लिए छात्रों की सकारात्मक सोच का मजबूत होना बहुत मायने रखता है।
छात्रों को अपनी गलतियों से सीखने की कला को समझ कर आगे उन गलतियों को न दोहराने पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। चुनौतियाँ जीवन चक्र का हिस्सा है जो जीवन को निखारती है, और संवारती है।
“अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित करें, अपने साथियों से प्रतिस्पर्धा न करें। अपने साथियों की सफलता को प्रेरणा स्रोत के रूप में इस्तेमाल करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका दिमाग भी स्वस्थ है, स्वस्थ शरीर होना महत्वपूर्ण है।”
श्री नरेंद्र मोदी
किसी भी तरह के दबाव में न आएं:
परीक्षा से पूर्व छात्रों का मानसिक दबाव में आना स्वाभाविक है लेकिन हमें किसी भी तरह के दबाव से बाहर निकलने में खुद को सक्षम बनाना चाहिए। कभी कभी परीक्षा से पूर्व कई बार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जिसके लिए खुद को तैयार करना पड़ता है। आत्मविश्वास से अपने लक्ष्य को साधकर अपने कार्य करते रहें। विद्यार्थी को उन कारणों को खोजना चाहिए जो उनके निराशा का कारण बन रहे हैं और उन्ही को किस तरह से खुद से दूर करने के विकल्प खोजने चाहिए। किसी भी प्रकार का भय या नकारत्मक विचार धारा को स्वयं के पास फटकने भी न दें। अपनी तैयारी पर भरोसा रखें और आत्मविश्वास से परीक्षा हॉल में प्रवेश कर
“अपनी तैयारी के बारे में आश्वस्त रहें। किसी भी प्रकार के दबाव के साथ परीक्षा हॉल में प्रवेश न करें।”
श्री नरेंद्र मोदी
छोटे लक्ष्य से करें शुरुवात:
बच्चों को तैयारी के दौरान छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए और धीरे-धीरे प्रदर्शन में सुधार करना चाहिए। इस तरह विद्यार्थी परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे। अपने आप को समझें, अपने कमियों का आंकलन करें और उन्ही कमियों को अपनी ताकत बनाने में ध्यान केंद्रित करें। एक लक्ष्य को निर्धारित करने से पहले हमें खुद को समझना बहुत जरूरी है।
“हमें खुद को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। हमें इसे धीरे-धीरे, वृद्धि में करना चाहिए।”
श्री नरेंद्र मोदी
एक सशक्त देश के नींव की तो शिक्षा सर्वप्रथम और एकमात्र रास्ता है – शिक्षित भारत सशक्त भारत।
पढ़ाई और पाठ्येतर गतिविधियों में संतुलन रखें:
पढ़ाई के साथ साथ बच्चों को अपने रुचि वाले पाठ्येतर के लिए समय जरूर निकालना चाहिए। छात्र ऊर्जावान महसूस करेंगे और इससे उनका मन तनाव मुक्त रहेगा। खेल कूद उन्हें रोबोटिक या नीरस हुए बिना पढ़ाई में अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करेंगे। अपनी पाठ्येतर रुचियों को समय जरूर दें। एक संतुलित टाइम टेबल बनाएं जिसमे आपके रुचि का खेल या आपके पसंदीदा शौक शामिल हो
समय प्रबंधन के गुर सीखें:
छात्रों को समय प्रबंधन के गुर को सीखना होगा जिससे वे अपने कार्य एक बेहतर तरीके और समय अनुसार कर सकें। परिवार के साथ समय बताएं और अपने गैजेट्स से कम से कम एक घंटे की प्रतिदिन दूरी बनाए रखें। टेक्नोलॉजी की मदद पढ़ाई में लेना अच्छी बात है लेकिन इसका दुरुपयोग छात्रों से उनका बहुमूल्य समय और संसाधन छीन लेता है। समय के मोल को समझना और उसका सदुपयोग ही एक विद्यार्थी को हर कार्य करने में सहायक होता है।
अपनी असफलताओं से सीखें:
असफलताएं प्रेरणा का स्त्रोत होती हैं। कोई एक असफलता का मतलब रुक जाना नहीं बल्कि उससे सीख़ लेकर आगे बढ़े। जीवन के उतार चढ़ाव का एक मजबूत मन से सामना करें। हर रुकावट को उज्ज्वल भविष्य की सीढ़ी के रूप में बदलने का प्रयास करना चाहिए।
“एक झटके का मतलब यह हो सकता है कि अभी सर्वश्रेष्ठ आना बाकी है।”
श्री नरेंद्र मोदी
माता पिता को सलाह:
एक विद्यार्थी के सफल होने में उनके माता पिता का सकारात्मक भाव रखना बहुत आवश्यक है। माता पिता का अपने बच्चों में विश्वास उनके मनोबल और आत्मविश्वास को मज़बूत करता है। उन्हें अपने बच्चों की तुलना किसी के साथ भी नहीं करनी चाहिए। अपने बच्चों से बात करें, उन्हें समझें और उन्हें प्रोत्साहित करें। माता-पिता की इच्छाएँ उनके बच्चों से निहित होनी चाहिए। माता पिता अपने सपनों और उम्मीदों का भार अपने बच्चों के कंधों पर न डालें बल्कि बच्चों की रुचि को जानने की कोशिश करें और उनका पूरे मन से समर्थन करें।
“माता-पिता अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न समझें।”
श्री नरेंद्र मोदी
देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना, नई उम्मीदें हासिल करना, इन सब पर निर्भर है यह नई पीढ़ी। परीक्षा केवल एक महत्वपूर्ण कदम है जो एक विद्यार्थी के सामने अनगिनत अवसर खोल देती हैं। लेकिन यह भी समझना बहुत आवश्यक है कि अंक जीवन नहीं हैं और परीक्षा निर्णायक नहीं है। उम्मीद और आत्मविश्वास को अगर हर छात्र अपना साथी बना ले तो फिर अपने सपनों को पाना बहुत आसान होगा।