गुस्सा एक साधारण सी बात को उलझा देता है। गुस्से पर काबू रखना कठिन है किंतु नामुमकिन नहीं। गुस्सा एक तीव्र अभिव्यक्ति है जिसको कई लोग छुपा नहीं पाते और छोटी – छोटी बात पर लाल पीले हो जाते हैं। अक्सर, गुस्सा एक साधारण सी बात को बहुत बड़ा बना देता है। महात्मा गांधी जी का यह कहना है कि मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।
आप यह सोच रहे होंगे की मैं गुस्से पर बातें क्यों कर रही हूँ। दरअसल, इसी बात पर एक बहुत ही अद्भुत किस्सा आपको बताना चाहती हूँ। इसके बारे में मैंने कहीं पढ़ा था और मुझे यह बहुत ही प्रेरणादायक लगा।
एक बार गांधी जी अपने दफ्तर में बैठे कुछ लिख रहे थे। यह उनका रोज का नियम था और दिन भर में उनसे बहुत सारे लोग किसी न किसी काम से मिलने आया करते थे। गांधी जी के समक्ष कोई अपनी परेशानी लेकर आता तो कोई कुछ प्रस्ताव लेकर।
एक दिन एक व्यक्ति बड़ी जल्दी में रिक्शे से उतरा और तमतमाता हुआ गांधी जी के दफ्तर के कक्ष की ओर बढ़ने लगा। उसके हाथ में एक लाल रंग की फाइल थी। उस व्यक्ति ने आव देखा न ताव और कक्ष के दरवाजे को ज़ोर से धक्का देकर गांधी जी के कमरे में घुस गया। उस आदमी को कोई बात खटक रही थी और अपनी बात रखने के लिए वो वहाँ जा पहुँचा।
गांधी जी के पूछने पर उसने कुछ बोले बिना लाल फाइल में से कुछ पन्ने गांधी जी के समक्ष रख दिए। गांधी जी ने उन पन्नों पर ध्यान नहीं दिया और वापस लिखने बैठ गए। अब उस व्यक्ति का गुस्सा उबाल पर था, वो गांधी जी को खरी खोटी सुनने लगा। गांधी जी बड़े ही शांति से उसकी बातें सुन रहे थे, उन्होंने अपने मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाला।
गांधी जी ने उसके दिए हुए पन्नों में लगी ऑलपिन को निकाल कर अपने पास रख लिया और सभी कागज लौटा दिए। उस व्यक्ति का पारा और भी चढ़ गया और गांधी जी के ऐसा करने का कारण पूछा। गांधी जी बड़ी सहजता से बोले, “मैंने काम की चीज़ रख ली है बाकी तुम अपने साथ वापस ले जाओ। यहाँ सिर्फ इस ऑलपिन के अलावा मुझे कुछ भी उपयोगी नहीं लगा।”
अगले ही पल उस व्यक्ति को अपने किए का एहसास हो गया। उसे सबक भी मिल गया कि गुस्सा अपनी बात रखने का सही तरीका नहीं है। गुस्से को महत्व कभी नहीं मिलता, गुस्सा प्रतीक है असमंजस का, असंतुलन का, विभ्रान्ति का, इसीलिए उसका कोई मोल नहीं।
गुस्से में किए गए किसी भी काम का कोई महत्व नही होता…बहुत ही सुंदर कहानी हमको जीवन में गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए |
Gussa biddhi ka sabse bada dushman hota hai, good to know you have shared a story on this topic. Quite relatable to everyday life.
yes anger is an emotion that interrupt our power of taking wise decision. I found the story and experience of Mahatma Gandhi inspiring. he has said his thought ( by using term alpin) so wisely. we can learn a lot from the life of inspiring personality like Gandhiji.
Right lesson here dear, with time I too have learned to be in control and not get angry and the softer you are the more you are heard
Anger is an emotion that interrupt our power of taking wise decision. I found the story and experience of Mahatma Gandhi inspiring.
Anger is worst thing of life . Control over anger is the achievement. Very beautiful story on this topic.
Sach kaha. Gussa hamari sochne ki kshamata ko kam kar deta hai aur dusro ke saath hamare vyavhaar ko bhi bigaad deta hai. Insaan ko apne gusse par sanyam rakhna aavashyak hai.
Absolutely, our mind doesn’t work to its potential of understanding or even communicating things when angry. Better to stop, pause and think about it with cool mind
When triggered by the situation at hand, anger can cloud our judgment and influence our decisions. I think this story is relatble to everyone.
The article took me about a decade back when I was totally short tempered and even my parents used to be scared to tell me anything. But now things have changed with my Holistic wellness journey. The article is relevant at all the times
Anger can definitely spoil the brains ability to make honest decision. I’m hoping the story is a good lesson to make people understand the same