विचार –  जीवन की नींव

सकारात्मक विचारों के बुलबुलों को उठने दें, फिर देखें कैसे यह छोटी - छोटी बूंदे हमारी खुशियों का सागर बन जाती है | हम हमारे जीवन में ऐसी कई चीज़ों…

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माँ ऐसी क्यूँ होती है?

माँ हमारा व्यक्तित्व संवारती है, कभी बच्चों का हाथ थाम कर तो कभी अपने सहारे ही डोर खींच कर। आखिर "माँ तो माँ होती है "!! माँ ऐसी क्यूँ होती…

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उम्मीदों का पिटारा

आज उम्मीदों का पिटारा ज़ोर से खनका ,पहली बार उसे देखा, डगमगाते हुए टिका ।ज़रा सा सम्भाला परंतु खाली उसे पाया ,गुम कहां उम्मीदें, सोच मन घबराया । हृदय कर…

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