समीक्षा का अर्थ है कुछ निष्कर्ष तक पहुंचना, जहाँ हम अपने आप से तर्क वितर्क कर कुछ समाधान एकजुट करते हैं। समीक्षा एक प्रश्नावली है अपने आप से जो विभिन्न तत्वों को जोड़ती है।. आइए इस लेख के जरिए जानें समीक्षा का उद्देश्य क्या है? और समीक्षा करने की सीमा कहाँ खींचें?
“नेहा, तुम कल नई जगह जा रही हो, अच्छी तरह सोच विचार कर ही शायद तुमने यह कदम उठाया होगा?”, घरवाले बड़े व्याकुल हो रहे थे। “हाँ बिल्कुल, मैंने सारे पहलुओं को नाप तोल कर ही यह निर्णय लिया है”, नेहा पूर्णता से संतुष्ट थी।.
नेहा की तरह ही हम सब भी नई जगह पर जाने से पहले या कोई वस्तु खरीदने से पूर्व अच्छी तरह समीक्षा या विचार कर लेते हैं। अच्छा है, पहले से समीक्षा कर लेना क्योंकि यह हमारी मंजिल थोड़ी आसान बना देता है।
समीक्षा का उद्देश्य क्या है?
किसी चीज के बारे में विचार कर लेने से हम पहले से ही तैयार हो जाते हैं हमारे मन में उठ रहे बहुत सारे प्रश्नों का सामना करने के लिए। जैसे, जहाँ हम जा रहे हैं वहाँ के मौसम का पता करना, या वहाँ के सार्वजनिक परिवाहन के साधन, ठहरने के पर्याप्त स्थान या खान पान के बारे में जानकारी रखना। आजकल तो छोटी से छोटी वस्तु खरीदने से पहले उसके रिव्यूज और स्टार रेटिंग जान लेना बहुत ही आम बातें हो गईं हैं।
घर बैठे इंटरनेट की मदद से अपने फोन पर ही न जाने कितनी सारी जानकारियाँ हमें आसानी से पता चल जाती है। समीक्षा का उद्देश्य है बहुत बारीकियों से अपने निर्णय को तोल कर, विचार कर सही चुनाव की अपनी शत प्रतिशत कोशिश करना।
क्या समीक्षा कर लेना आवश्यक है?
समीक्षा करना या सोच विचार करना किसी निर्णय तक पहुंचने की सबसे अहम कड़ी है। अगर आपके पास इसके लिए समय है, तो समीक्षा जरूर करनी चाहिए। निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी करके, आप जल्दबाजी में लापरवाही करने की बजाय सावधानी से सारे पहलू को तोल सकते हैं और सही निर्णय तक पहुंच सकते हैं।
जीवन हमारे सामने प्रतिदिन एक नई चुनौती लेकर आता है, और यही तो जीवन जीने की अहम कड़ी भी है। बिना संघर्षों के जीवन बड़ा सूना लगता है। हम भले ही अपनी पूरी क्षमता लगा दें और न जाने क्या क्या नहीं खोज लें किसी भी चीज़ के बारे में, लेकिन कुछ बातें तो हमारे अनुभव ही हमें सिखा सकते हैं।
समीक्षा का प्रभाव हमारे जीवन में:
हर पहलू पर समीक्षा या विचार करना एक हद तक ठीक है लेकिन किसी भी चीज की अति आपको सही दिशा नहीं दिखा सकती। इसके कुछ सकारात्मक पहलू हैं तो कुछ नकारात्मक पहलु भी हैं, जैसे:
मन में डर के भाव:
कुछ ज्यादा सोच विचार हमारे काम में रोक लगा देते हैं। हम इतनी ज्यादा अपेक्षाओं को हमारे ऊपर हावी कर लेते हैं की हम डरते हैं नई शुरुवात करने से।
अनिश्चितता का वास:
अरे! आपने इस सामान का रिव्यू नहीं पढ़ा था क्या? कितने स्टार्स थे? फिर ऐसा क्यूं हुआ की आप गलत चीज़ खरीद बैठे। आखिर ऐसा क्यूं होता है?
जब हम किसी के लिए भी हद से ज्यादा समीक्षा करने लगते हैं तो वह हमारे अंदर अनिश्चितता और अस्थिरता को बढ़ावा देता है। अक्सर हम कोई एक निश्चित निर्णय या डिसीजन नहीं ले पाते हैं तथा सही सूझबूझ खो देते हैं। और इसीलिए हम डटे नहीं रह पाते हमारे निर्णय के साथ।
बार बार भरोसे की आशा रखना:
अतिविचार हमारा ध्यान सही दिशा में केंद्रित करने से रोकता है और हम लगातार चाहते हैं की हमें कोई यह कह दे कि हमारा चुनाव ठीक है या नहीं। इसके चलते हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लगता है।
समय पर निर्णय न लेना:
किसी स्थिति का अधिक विश्लेषण या विचार करने से कभी – कभी हम प्राकृतिक समय सीमा के भीतर कोई समाधान तक नहीं पहुंच पाते हैं।अक्सर अच्छे मौके या ऑफर्स हाथ से निकल जाते हैं।
Samiksha karne ki seema kahan kheechen?
समीक्षा करने की सीमा कहाँ खींचें?
सोच विचार करने की प्रवृत्ति मानव स्वभाव का एक हिस्सा है। जीवन की अनेक जटिलताओं को समझने के लिए यह एक उपयोगी गुण है। लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि हम समीक्षा करने की सीमा को कहां खींचें। मन में संतुष्टि का वास एक सही निर्णय पर, तय समय सीमा के भीतर पहुंचाने में सफल होता है।
यह जान लेना बहुत जरूरी है कि हमारा चुनाव हमेशा सही हो ऐसा जरूरी नहीं है। हम अपनी गलतियों से सीखते हैं तथा और भी अनुभवी बनते हैं।
Samiksha kitni karein?
हर चीज की समीक्षा या एनालिसिस जरूर करें लेकिन निर्णय बिना झिझक और आत्मविश्वास से लें। फिर चाहे परिणाम जो भी हो, सही या गलत लेकिन आप यह याद रखें कि आप अनुभव की एक सीधी ऊपर चढ़ गए हैं। इसीलिए समीक्षा की सीमा को खींचना बहुत जरूरी है।
Samiksha ke पहलु:
यहाँ आप जान सकते हैं कि सकारात्मक विचार की कुंजी क्या है।
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I agree that we sometimes take too much time while analyzing things and this thing make a delay in taking correct decision. it is important to maintain a balance while reviewing or analyzing things. otherwise, this thing may negatively affect our growth and decisions.
बिल्कुल सही !
समीक्षा हमें सही निर्णय लेने में मदद करती है लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की हम ज़्यादा समय इसी में जाया कर दे। अगर वह हमारे आगे बाधने के रास्ते मी आ रही है तो फिर हमें इसके बार एमें गंभीरता से सोचना होगा।
बिल्कुल, आपकी बात सही है।
Samiksha is very important, and I loved the way you explained how much importance it plays in our life. No wonder if we do this, we just move ahead in life in a better way.
मेरा भी यही मानना है।
Reviewing experiences is something i never do. I just feel the experience and let it go. I should start reviewing the experiences and think about doing only the things i love again.
रिव्यु उतना ही करना चाहिए जितना आवश्यक है। यहाँ पर अपने अनुभवों के रिव्यु नहीं बल्कि किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले रिव्यु की बात हो रही है।
You have well-curated all the aspects of the analysis process, i.e., Samiksha. I, too, believe doing analysis is essential but at the same time, indulging in over-analysis also distracts you from enjoying the process. This is the first time I am landing on your Hindi blogsite Dhoop-Chhanv, and I must say the power of your pen is slaying here too.
जानकार ख़ुशी हुई की आपको हमारा ब्लॉग अच्छा लगा।
I agree reviewing and knows Pros and cons of doing anything helps you to plan and implement better and faster.
मैं आपसे सहमत हूँ।
Samiksha karna manushya ka svabhav hai. Kisi bhi nayi cheez ko karne se pehle uske baare mein sahi galat ka anuman lagana aavashyak hai. Par haan, ati hone par wo hume galat raaste par bhi le ja sakti hai.
किसी भी चीज़ की अति विनाश की ओर ले जाती है।
This is something that I wonder about as well. It is important to trust your gut instinct and not over analyse every situation. We need to maintain a balance while reviewing and not overindulge.
हाँ, मेरा भी यही मानना है।
while I do review before doing any work, I don’t spend too much time dwelling on it. Too much time spent on pondering and mulling over it also makes us loose the opportunity.
मैं आपसे सहमत हूँ।
I know you may find it strange, but my Hindi is pathetic. Living in the south never got to even talk in Hindi. I am going to translate it and read it for sure.
आप अपना समय लेकर पढ़ें।
Definitely this is something everyone should do – asking questions of ourselves and delving deeper into the answer and going beyond the obvious or the popular thoughts, opinions and beliefs.
सही निर्णय तक पहुंचने के लिए सही तरह की समीक्षा करना बहुत आवश्यक है।
Yes, it is important to review and analyse things before taking any step or decisions. But sometimes over analysis leads to paralysis that is sometimes we spend so much time thinking through choices that we could end up all confused and not arrive at any decision at all.
हाँ, इसीलिए समीक्षा कितनी करनी है वह भी बहुत जरूरी है।
I loved the way you explained how much importance samiksha plays in our life. Will try to implement
सराहने के लिए धन्यवाद !