नया सवेरा, नई उम्मीद – कविता

सारे खेल आज ख़त्म हुए,जा बैठा राजू टक टकी लगाए,गली के किनारे, अपने बाबा के,इंतजार में दूर दूर तक निगाहें टिकाए। बाबा के इंतज़ार में अब भूख़ का है ज़ोर।क्या…

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