सन्नाटे में शोर – कविता

आज आज़ादी के उत्सव पर मन प्रश्नों में डूबा था। जहां एक ओर हम डिजिटल इंडिया और आर्थिक स्थिरता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर हो…

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नया सवेरा, नई उम्मीद – कविता

सारे खेल आज ख़त्म हुए,जा बैठा राजू टक टकी लगाए,गली के किनारे, अपने बाबा के,इंतजार में दूर दूर तक निगाहें टिकाए। बाबा के इंतज़ार में अब भूख़ का है ज़ोर।क्या…

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कुछ तो है…

कविता - आपने कई बार अनुभव किया होगा एक ऐसी शक्ति जो जाने कहाँ से आप में नई ऊर्जा भर देती है। क्या आप भी मानते हैं कि ऐसा कुछ तो है जो हमारे साथ है, जो हमें पूर्ण करता है, जो हमें निरंतर सिखाता रहता है। हाँ, कुछ तो है….

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कालू की अंतरात्मा

अच्छी बुरी परिस्थितियाँ जीवन के चक्र को पूर्ण करती हैं और हमें बहुत सारी सीख़ दे जाती हैं। कई बार ऐसा होता है कि हम गलत रास्ते की ओर आकर्षित…

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