“बहुत खूब! गरमागरम चाय के लिए मौसम एकदम सही है”, सुधा ने दिशा को शाम के नाश्ते के लिए बालकनी में बुलाया और दिशा की पसंदीदा चीजों की ट्रे बालकनी में रख दी।
“मिट्टी की सुगंध और पानी की बौछारों की आवाज बहुत ही उम्दा है”, सुधा के बगल में सावधानी से बैठते हुए दिशा ने उत्साह से कहा।
सुधा ने जल्दी से अपने लिए एक कुर्सी खींची और दिशा के चेहरे पर मुस्कान देखकर खुश हो गई। दोनों ने नाश्ता और चाय पी और चुपचाप इस पल का आनंद लिया।
“जो मैं सोचती हूं बस हो जाता है,” दिशा ने चुप्पी तोड़ी।
सुधा ट्रे लेकर बस अंदर जा ही रही थी कि दिशा ने उसे रोककर कहा, “अब कृपया ओवरहेड टैंक का नल बंद कर दो। मुझे पता है कि तुम मेरे लिए यह कर सकती हो, दिशा अपनी गर्दन ऊपर नीचे करते हुए ज़ोर से खिलखिलाने लगी।
यह सुनकर सुधा चौंक गई और उसने सोचा कि दिशा को धोखा देना असंभव है।
दिशा अक्सर एकांत में अपने आप से बातें किया करती थी। वह अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती थी की उसके जीवन में सुधा जैसी सच्ची मित्र का साथ है।
तभी सुधा सीढ़ियों से उतरी, उसकी सांस फूल रही थी, क्योंकि यह उसके दिन का सबसे मुश्किल कार्य था।
“सुधा, क्या तुम जानती हो कल हमारी किताब के पढ़ने की तारीख है”।
“हाँ मुझे याद है”, सुधा ने कहा और दिशा के पास बैठकर सूरज को अलविदा कहा जो क्षितिज पर चल रहा था।
ताजी हवा ने उनकी आभा को और बढ़ा दिया दिया और दोनों के लिए हवा में खुशी और घबराहट का भाव था।
“मुझे बहुत अजीब लग रहा है, मेरे पेट में मानो तितलियों ने वास कर लिया हो, सह पैनलिस्टों की भीड़ और हमसे इतनी उम्मीदें” सुधा ने एक सांस में यह सब कह दिया।
“सुधा, तुम बहुत प्यारी और भोली हो”, दिशा उत्साह से सुधा के गोल-मटोल गालों तक पहुँची और गाल की बजाय उसका बायाँ कान पकड़ लिया।
“दिशा, तुम हमेशा बहुत धैर्यवान और शांत रहती हो लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि तुम भी घबराई हुई हो”, सुधा ने यह जानने की कोशिश की कि दिशा के दिमाग में क्या चल रहा है क्योंकि वह थोड़ी कम अभिव्यंजक है।
दिशा ने एक लंबी सांस ली और सुधा को एक आरामदायक बीनबैग पर बिठा दिया, जिसे उन्होंने कुछ महीने पहले खरीदा था।
“क्या तुम आराम से मुझे सुनने के लिए मेरी पसंदीदा जगह पर बैठी हो?”, दिशा ने पूछा।
“मुझे यह फिरोजी रंग बहुत पसंद है और यह बीनबैग सिर्फ तुम्हारा ही नहीं मेरा भी पसंदीदा है”, सुधा ने तुरंत जोड़ा।
इस पर वे दोनों हँस पड़े और दिशा ने सुधा का हाथ पकड़ कर कहा, “सुधा, मैंने तुमसे यह कभी नहीं कहा, लेकिन आज मुझे तुमसे कुछ कहना है। तुमने मुझे वहाँ समझा जहाँ हर कोई मुझसे हमदर्दी जता रहा था। तुम मेरी साथी बनी, जब सब मुझे कुछ न कुछ सुना जाते थे।
तुम्हारे साथ मैं खुद को हीन महसूस नहीं करती, तुम्हारे साथ ने मुझे मेरा अस्तित्व लौटा दिया, मुझमें एक उम्मीद फिर से जागा दी। तुमने मुझे सिखाया कि अपने सपनों को कैसे पूरा किया जाता है।
दिशा के आसूं मानो थम ही नहीं रहे थे, आज दिल खोल कर सुधा से बोलती रही, “तुमने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं उस भयानक दुर्घटना के बाद भी लिखने के अपने जुनून को जारी रख सकता हूं जिसमें मैंने अपने परिवार और खुद को एक अर्थ में खो दिया था।”
“मेरे दोस्त तुमने मुझे रोने के लिए कंधा देने के बजाय आंसू पोछना सिखाया। तुम मेरे जीवन में अत्यधिक महत्व रखती हो और आज मैं तुमसे सबकुछ कहना चाहती हूं जो मैं महसूस करती हूं। तुम हमेशा कहती हो न कि मुझे केवल लिखने में ही नहीं बल्कि बोलने में भी अधिक अभिव्यंजक होने की आवश्यकता है।”, दिशा बहुत हल्का महसूस करने लगी।
सुधा ने पिछले एक वर्ष से दिशा के मुंह से इतनी बातें नहीं सुनी जितनी आज दिशा ने उससे कही। सुधा अचंबित थी, दिशा ने आज तक केवल उस किताब के बारे में ही बात की जिस पर वे काम कर रहे थे और कुछ भी व्यक्त करने से घबराती थी। लेकिन सुधा अब तनावमुक्त महसूस करने लगी, अब कल की उसे कोई चिंता नहीं थी।
सुधा चुपचाप रही, उसने दिशा को कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह हर शब्द को आत्मसात करना चाहती थी। मन ही मन सुधा फूले नहीं समा रही थी कि आख़िरकार उसकी दोस्त उसकी तरह अभिव्यक्त करना सीख गई है।
अगला दिन उन दोनों के लिए एक बड़ा दिन था क्योंकि उनकी पुस्तक “मेरे अनकहे आँसू” का विमोचन होना था।
दोनो दोस्तों को इस दिन का कब से इंतजार था और आज इस पल को वे पूर्ण होता देख रही थी मानो कोई सपना हो। दोनो ने अपनी मुस्कान के नीचे अपनी चिंता को छुपाए रखा।
वे दोनों कार्यक्रम स्थल पर पहुंची और सुधा उनके बुक कवर के विशाल पोस्टर को लगा देख अचानक रुक गई, जिससे दिशा उससे टकरा गई, जो उसके ठीक पीछे चल रही थी।
“सुधा, क्या हुआ तुम यूं गलियारे के बीच में अचानक क्यों रुक गई”, दिशा ने गुस्से से पूछा क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उससे कोई गलती हो जाए।
“दिशा, हमारा बुक कवर का पोस्टर उतना ही बड़ा है जितना हमने सोचा था और वैसा ही दिख रहा है जैसा हमने सपना देखा था” सुधा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
“अच्छा! चलते रहो सुधा; कार्यक्रम शुरू होने से पहले मैं हॉल में ठीक से पहुँचना चाहती हूँ,” दिशा ने उत्सुकता से कहा।
दिशा और सुधा को एक मंच पर बैठाया गया, सुधा ने अपनी पुस्तक की एक कॉपी पकड़ रखी थी और दिशा ने पुस्तक से अपने हिस्से को पढ़ने के लिए अपनी उपन्यास पुस्तक “मेरे अनकहे आँसू” का ब्रेल पुस्तक संस्करण पकड़ रखा था।
तभी एक फोटोग्राफर ने सुधा और दिशा की ओर इशारा करते हुए अपने सहयोगी से कहा, “ये रही लेखन की दुनिया की एक अनोखी जोड़ी, एक पैर से विकलांग और दूसरी नेत्रहीन।”
क्या आप भी सच्ची मित्रता की शक्ति को मानते हैं? हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएँ।
जाने से पहले आप हमारे ब्लॉग के रोचक लेख संग्रह पर एक नज़र जरूर डालें।
सच्ची दोस्ती कि लिए किसी भी बनावटीपान की ज़रूरत नहीं होती है। ना तो वो किसी औपचरिकता की मोहोताज होती है और ना ही वो किसी स्पेशल बात के होने से पनपती है। दोस्ती हमें भरोसा करना सिखाती है, दोस्ती हमें एक-दूसरे को प्रेरित करना सिखाती है। दिशा और सुधा इसी का उदाहारण हैं।
The camaraderie between Disha and Sudha was heartwarming to read more so because both the women had struggled with disabilities and one become the support of the other, rising up to the challenge together.
The ending of story has made me emotional. yes, good friends always supported each other in difficult times and they can achieve anything together, if they trust each other. you have written the story so beautifully.
Such a beautiful story of love and friendship. With supportive and true friends, even the most challenging situations are easier to navigate and overcome.
Good friends are like ray of hope. They compliment each other that’s why they are called besties. Sudha and disha complimented each other and that’s why they were each others biggest support.
From what I understand of the heading and the comments is that this a heartwarming story of two friends who stand for each other. Glad to understand.
Oh! What a lovely story, I was shocked by the ending. They were blessed by skills though, which is a great art. I was mesmerized by reading this story in Hindi. A beautiful take on everlasting friendship.
It is hard to find true friendship. It motives us, help us to sail through tough times. We can be ourselves with our friends. It is that bond that cannot be replaced with anything else.
I really enjoyed reading your story about Sudha and Disha’s unique friendship. The way you portrayed their bond and the moments they shared was heartwarming. Keep writing such beautiful stories that touch the reader’s emotions.
Such a lovely story of Disha and Sudha. I recenlty watched a series, Grace and Frankie where they turn from enemies who despise each other to friends to cannot live without each other.
The bond of true friendship you have so beautifully shared over here. I just got emotional with the ending. Keep sharing such beautiful stories.
Beautiful. Friendship is an emotion which goes beyond the realms of physical lacking. 2 friends can help each other to accomplish any journey just by walking together. Completely loved the story.
What a beautiful soulful story my love, reading it in hindi was so heart touching too akhir wo hamari matrabhasha hai, I wish everyone gets a bestie like these two.
Disha and Sudha’s friendship was especially heartwarming to read about. Both of the women had experienced struggles and had teamed together to overcome their obstacles as a team. Enjoyed it.
This is a pure tale of friendship and support. I wish we could make such great friends in life easily without going through the challenges. Loved reading this story, made me emotional thinking about my childhood friends.
Emotional and heartwarming story of friendship and love filled my eyes with tears. Today is my first and best friends birthday and when I was talking to her today to wish we both recollected our special moments . How we became friends and how this bond became so strong we never knew. True Love and friendship are god gifted and yes I am gifted with such few jewel friends.
This heartwarming tale encapsulates the power of love and friendship. When surrounded by genuine and supportive friends, even the toughest obstacles become more manageable, and triumph over adversity becomes possible.
I believe in true friends. If you have a real friend in your life, your life is half sorted. The only thing is that the friend should be real to you as well.
यह एक विचारोत्तेजक पोस्ट है. हम इंसान इच्छाओं से भरा जीवन जीते हैं लेकिन अक्सर जिम्मेदारियां हमें इच्छाओं को किनारे रखकर एक अलग जिंदगी जीने पर मजबूर कर देती हैं। लेकिन अगर हमें जिम्मेदारियों से भरे जीवन में जुनून और इच्छा पैदा करने का कोई रास्ता मिल जाए, तो पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं है।