सरल व्यक्तित्व, सादा जीवन, कठिन परिश्रमी और शान्ति के दूत; जी हां यह कोई और नहीं बल्कि हमारे अपने गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी हैं जिनकी विचारधारा आज तक सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।
सरल जीवन, उच्च विचार,
कांपे अंग्रेज सुन शान्ति की ललकार।
देश के आगे और कुछ न सूझा,
लहराया विजयी पताका ऊंचा।
एकता और अखंडता का पाठ सिखाया,
न उठाई लाठी न कोई टकराया,
उनके धैर्य के आगे न कोई टिक पाया,
इतनी गौरवशील थी जिनकी काया।
आईए जानें महात्मा गांधी जी और लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन की ऐसी कई विशेषताएं जिनका यदि पूरी निष्ठा से पालन किया जाए तो व्यक्ति जीवन में सुखी रह सकता है।
लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता, विनम्रता, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति के लिए माने जाते हैं। देश के प्रधान मंत्री के रूप में उनकी दूरदर्शिता ने देश को प्रगति का मार्ग दिखलाया।
“अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत है।” – शास्त्री जी
अनुशासन एक बहुमूल्य गुण है जो जीवन में कुशलता और आत्मविश्वास से आगे बढ़ने की क्षमता का सार्थक है। एक अनुशासित नागरिक अपने देश के कुशल भविष्य की अहम पूंजी है। ऐसी ताकत को परास्त करना नामुमकिन है।
पाठ १: अनुशासन की आदत जीवन को संवार देती है।
“मैं किसी दूसरे को सलाह दू और मैं खुद उस पर अमल ना करू तो मैं असहज महसूस करता हूं।”- शास्त्री जी
शास्त्री जी की सादगी और दृढ़ता का पाठ सबके लिए आज तक प्रेरणा का स्त्रोत है। देश के नागरिकों को एक दिशा दिखाने के लिए वे सर्वप्रथम खुद किसी कार्य को करने में सदा तत्पर रहते थे। देश के प्रधानमंत्री होने के नाते उन्होंने लोगों को सिखाने के लिए अपने आपको हर कार्य में आगे रखा।
पाठ २: किसी को अगर कोई बात सिखानी हो तो उस पर पहले खुद को अमल करना चाहिए।
“हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं।”- शास्त्री जी
शास्त्री जी का सर्वप्रथम उद्देश्य देश में शान्ति और खुशहाली का पाठ लोगों को सिखलाना था। शांत मन हर कठिन परिस्थिति से निकलने में सक्षम होता है। जब मन शांत होगा तभी एकाग्रता से कार्य कर पाएगा।
पाठ ३: हमें हर पल आंतरिक और बाहरी शान्ति को पाने की कोशिश करनी चाहिए।
“जब स्वतंत्रता और अखंडता खतरे में हो, तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना ही एकमात्र कर्त्तव्य होता है, हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।” – शास्त्री जी
सब साथ चलेंगे, सब साथ परिश्रम करेंगे तो पथरीले रास्ते भी आसानी से पर हो जाते हैं। एकता में जो शक्ति है वह और कहीं नहीं है, और यही कारण था की हमारा देश आजाद हो पाया।
पाठ ४: हर कार्य अकेले करना संभव नहीं होता। एकता की शक्ति सर्वोपरि है।
भारत में राष्ट्रपिता के नाम से लोकप्रिय महात्मा गांधी ने दुनिया भर के अरबों लोगों को उनके सिद्धांतों पर जीवन जीने के लिए प्रेरित किया है।
“शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं बल्कि, अदम्य इच्छा शक्ति से आती है।” – महात्मा गांधी
हम सभी ने देखा है कि गांधीजी की मानसिक शक्ति इतनी मजबूत थी कि जब दूसरे देशों में गांधीजी के बारे में सुनने वाले लोग अक्सर उनकी शारीरिक बनावट को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते थे। बापू एक आदर्श उदाहरण हैं जो बताते हैं कि यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो भौतिक क्षमता की परवाह किए बिना पहाड़ों को भी हिलाया जा सकता है।
पाठ 1: जीवन में किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए अपनी मानसिक शक्ति मजबूत रखें।
“संतुष्टि प्रयास में निहित है, प्राप्ति में नहीं, पूर्ण प्रयास ही पूर्ण विजय है।” – महात्मा गांधी
अगर प्रयास पूरे मन से किया जाय तो जीत निश्चित है। हां, गांधीजी के जीवन ने हमें सिखाया कि प्रयासों में संतुष्टि ही जीवन की कुंजी है। हालाँकि हमारे देशवासियों ने आज़ादी के लिए वर्षों तक संघर्ष किया, लेकिन निरंतर प्रयासों से ही यह संभव हो सका। यदि आप विजयी परिणाम चाहते हैं तो अपना 100% देते रहें।
पाठ 2: अंत में विजयी परिणाम के लिए अपने प्रयासों में संतुष्टि रखें।
“दुनिया में इंसान की ज़रूरतों की पर्याप्तता है लेकिन इंसान के लालच की नहीं।” – महात्मा गांधी
गांधीजी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनकी कुछ जरूरतें नहीं थीं और वह अपने हमेशा चमकते मुस्कुराते चेहरे के साथ एक खुशहाल जीवन जीते थे। कठिनतम परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी आवश्यकताओं को सरल रखा। इससे उनका ध्यान देश के अन्य ठोस मुद्दों पर केंद्रित रहता था।
पाठ 3: जीवित रहने के लिए पर्याप्त होना खुशी की कुंजी है।
“आत्मसम्मान कोई बाहरी विचारों का मोहताज़ नहीं।” – महात्मा गांधी
गांधी जी स्वाभिमान के साथ अपनी उपलब्धियों के लिए जाने जाते हैं।
स्वाभिमान, स्वयं से प्रेम करना है। जब हम खुद का सम्मान करते हैं और अपने कार्यों को महत्व देते हैं तभी कोई व्यक्ति आत्मविश्वास के साथ कई चीजें हासिल कर सकता है। एक विनम्र व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति को जानने के लिए किसी झूठी प्रशंसा की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए स्वयं को पहले रखें और देखें कि परिस्थितियाँ कैसे बदलती हैं।
पाठ 4: आत्मसम्मान जीवन जीने की कुंजी है।
सुखी जीवन जीने के लिए गांधीजी और शास्त्री जी के सिद्धांत उल्लेखनीय हैं और इन्हें जीवन में अपनाना चाहिए। यह अमूल्य बातें पीढ़ी-दर-पीढ़ी आशा, स्वतंत्रता, भक्ति, सच्चाई और आत्म-सम्मान पैदा करती हैं। आइए हम सभी खुशहाल जीवन जीने के लिए उनके कुछ सिद्धांतों का पालन करने का प्रयास करें और स्वयं से वादा करें की हम यह सीख अपने आने वाली पीढ़ी को अपना कर उनके लिए एक उदहारण बनें।