माँ ऐसी क्यूँ होती है?
माँ हमारा व्यक्तित्व संवारती है, कभी बच्चों का हाथ थाम कर तो कभी अपने सहारे ही डोर खींच कर। आखिर "माँ तो माँ होती है "!! माँ ऐसी क्यूँ होती…
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May 9, 2022
माँ हमारा व्यक्तित्व संवारती है, कभी बच्चों का हाथ थाम कर तो कभी अपने सहारे ही डोर खींच कर। आखिर "माँ तो माँ होती है "!! माँ ऐसी क्यूँ होती…
बचपन में जब हमारे माता पिता हमें अपने पाठ पढ़ने के लिए कहते थे तो हमें कभी कभी आलस आता था। लेकिन उन किताबों को पढ़ने में बहुत आनंद आता…
आज उम्मीदों का पिटारा ज़ोर से खनका ,पहली बार उसे देखा, डगमगाते हुए टिका ।ज़रा सा सम्भाला परंतु खाली उसे पाया ,गुम कहां उम्मीदें, सोच मन घबराया । हृदय कर…